कोरोना संक्रमित मरीजो के इलाज में चेस्ट फिजियोथेरेपी कारगर: डॉ. एस.एस. सिंह

  • चेस्ट फिजियोथेरेपी की मदद से कोरोना मरीजों की सेहत में हो रहा तेजी से सुधार

श्रेयांश सिंह सूरज, विशेष संवाददाता

बाराबंकी। जिले के हैदरगढ़ हसनपुर निवासी डा. एस.एस. सिंह सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट ने बताया कि कोरोना फेफड़ों के लिए संजीवनी का काम कर रही चेस्ट फिजियोथेरेपी सांस लेने में दिक्कत और खांसी वाले कोविड मरीज को यह थेरेपी दी जा रही है। कोविड अस्पतालों में नियुक्त किए गए है थेरेपिस्ट,निजी स्तर पर भी दे रहे सेवाएं। कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज में चेस्ट फिजियोथेरेपी काफी कारगर साबित हो रही है। थेरेपी की मदद से मरीज के फेफड़ों को नया जीवन मिल रहा है।फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर निकाला जाता है।पांच से दस दिन की थेरेपी से मरीजों को काफी लाभ मिल रहा है। सांस लेने की दिक्कत दूर होने के साथ ही उपचार को बेहतर बनाने में भी मदद मिल रही है। 

लखनऊ के ए.बी.एस. फिजियोथेरेपी सेन्टर के सीनियर फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. एस.एस. सिंह ने बताया कि चेस्ट फिजियोथेरेपी की मदद से कोरोना मरीजों की सेहत में तेजी से सुधार होता है। थेरेपी ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने में मददगार साबित हो रही है। इससे फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर निकालने में मदद मिलती है। व्यक्ति एक बार की सांस में 400 से 500 मिलीलीटर वायु लेता है, लेकिन बलगम के कारण सांस लेने की क्षमता 200 मिलीलीटर से भी कम हो जाती है।बलगम निकलने के बाद फेफड़ों में सांस भर जाती है। जिन मरीज का एचआरसीटी स्कोर 15 से 20 रहा है। उनको फिजियोथेरेपी कराने के बाद में काफी राहत मिली है। पांच से दस दिन की थेरेपी कराने से मरीज सामान्य हो जाता है। 

निमोनिया को ठीक करने में कारगर है थेरेपी

सीनियर फिजियोथिरेपिस्ट डॉ. एस. एस.सिंह ने बताया कि चेस्ट फिजियोथेरेपी में विभिन्न तकनीक का इस्तेमाल हाता है।जैसे कपिंग थेरेपी, पोस्चरल ड्रेनेज, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और चेस्ट वाइब्रेशन है। इनकी मदद से फेफड़ों में जमा बलगम को ढीला करते हैं। फिर विभिन्न माध्यम से बाहर निकालते हैं। ऑक्सीजन की दिक्कत दूर करने के साथ-साथ थेरेपी से निमोनिया को ठीक करने में भी अहम भूमिका है।

थेरेपी की एक्सरसाइज

  • नाक से धीरे-धीरे सांस लेना है।पांच सेकेंड फेफड़ों में रोककर फिर धीरे से बाहर निकालना है। दो घंटे में पांच बार करें।
  • गहरी सांस नाक से लेकर उसे पांच सेकेंड रोककर सीटी की आवाज क साथ मुंह से निकालना है। यह भी दो घंटे में पांच बार करें।
  • रेस्पिरोमीटर से भी एक्सरसाइज कर सकते है। बार-बार गुब्बारे फुलाने का भी अभ्यास करें।
  • सांस रोकना और जोर से खांसना। इस कसरत में गहरी सांस ले कर उसे कुछ सेकेंड रोककर तेजी से खांसना होता है। इससे बलगम बाहर निकलती है।
  • बैठकर गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथ ऊपर की ओर ले जाए और सांस छोड़ते हुए नीचे की ओर लाए। दो घंटे में पांच बार करें।

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